गृहस्थ जीवन की शान है इसी रिश्ते से निर्मित , परिवार ,समाज और संसार है। गृहस्थ जीवन की शान है इसी रिश्ते से निर्मित , परिवार ,समाज और संसार है।
कौन पूछता है मुझे ..? पता नहीं , फिर भी समाज के लिए खड़ी हूं मैं ...। कौन पूछता है मुझे ..? पता नहीं , फिर भी समाज के लिए खड़ी हूं मैं ...।
फिर से नम आँखें ,दो रोटी की मोहताज , एक हाथ में कलम ,दूजे हाथ में कई राज़। फिर से नम आँखें ,दो रोटी की मोहताज , एक हाथ में कलम ,दूजे हाथ में कई राज़।
तड़प रही थी चीख रही थी नोच रहा था फिर भी दरिंदा .. तड़प रही थी चीख रही थी नोच रहा था फिर भी दरिंदा ..
वही नारी के प्रति पीढ़ी दर पीढ़ी भेदभाव पूर्ण आचरण बना। वही नारी के प्रति पीढ़ी दर पीढ़ी भेदभाव पूर्ण आचरण बना।
वो स्त्री ही है जो पर्दे के पीछे रह कर अपने दुःखों को छिपाती है ! वो स्त्री ही है जो पर्दे के पीछे रह कर अपने दुःखों को छिपाती है !